सरगुजा. अंबिकापुर नगर पालिक निगम के लिए भाजपा ने जिन प्रत्याशी का नाम तय किया है. उससे तो ये लगता है कि कांग्रेस की तरह भाजपा भी परिवाद के रास्ते चल चुकी है. और ऐसा इसीलिए भी हो सकता है कि अब भाजपा के जिला से लेकर प्रदेश तक के नेताओं को ये लगने लगा है. कि उनको कोई हरा ही नहीं सकता है. पर इस बार भाजपा ने जिन प्रत्याशियों का नाम जारी किया है. उसमें से कई वार्ड में तो साफ जाहिर होता है कि उस वार्ड में एक ही परिवार की रजिस्ट्री है.
बात अगर शहर के बीचों बीच स्थित दो तीन वार्ड की ही कर लें तो शीतला वार्ड को देख लीजिए,लगता है कि इस वार्ड में कोई महिला नेत्री ही नहीं है, तभी तो इस मोहल्ले में अपनी रजिस्ट्री कर चुके पूर्व पार्षद संदीप सोनी पिछली बार अपनी भाभी को टिकट दिला दिए और इस बार जैसे ही उनका पुराना वार्ड की महिला मुक्त हो गई. तो उन्होंने अपने मोहल्ले की दूसरी सीट पर जुगाड़ से अपनी पत्नी को शीतला वार्ड से प्रत्याशी बनवा लिया. जिनको राजनीति की ABCD भी नहीं आती है.
इसके बाद बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले नेहरू वार्ड का हाल तो और ही बेहाल है. इस वार्ड के दूसरे पट्टा स्वामी विद्यानंद मिश्रा ने तो परिवादवाद की सभी हद को पार कर दिया. उन्होंने मुक्त महिला सीट नेहरू वार्ड से कुछ पंचवर्षीय पहले महिला सीट होने पर अपनी मां को पार्षद का टिकट दिलवा दिया. उसके बाद वो सामान्य पुरुष सीट से खुद लड़े और हार गए. लेकिन खुद पार्षद बनने का उनका सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ और इस बार जब नेहरू वार्ड महिला सीट हुई. तो उजड़ते सपने के बीच इस बार मिश्रा जी ने अपनी पत्नी को पार्षद की टिकट दिलवा दी.
कुल मिलाकर अंबिकापुर नगर निगम के इन दो वार्डो में भाजपा के पास कोई महिला नेत्री नहीं थी. यही वजह है कि बीजेपी को भी कांग्रेस की तरह परिवादवाद के रास्ते चलना पड़ा. अंततः सत्तीपारा और नेहरू वार्ड मे टिकट दो पट्टेदार के बीच से बाहर नहीं आ सकी.
(पूरा इतिहास और राजनीती की किताब खंगालने के बाद )
