अंबिकापुर. सरगुजा संभाग के लिए हवाई कनेक्टिविटी का सपना साकार करने वाली फ्लाईबिग की हवाई सेवा अब अनियमित उड़ानों, टिकट बुकिंग की अव्यवस्था और कंपनी की मनमानी के चलते विवादों के घेरे में है. 19 दिसंबर को रायपुर-अंबिकापुर-बिलासपुर-अंबिकापुर-रायपुर रूट पर शुरू हुई 19 सीटर विमान सेवा से क्षेत्रवासियों में जोश था, लेकिन बार-बार उड़ानें रद्द होने और अव्यवस्थित संचालन ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. मौसम का हवाला देकर की गई उड़ानों की रद्दीकरण ने जनता को निराश किया है, तो विपक्ष ने इसे लेकर सत्तापक्ष पर तीखा हमला बोला है.
ख्वाब जो बन गया सवाल…पिछले साल 19 दिसंबर को जब फ्लाईबिग के विमान ने अंबिकापुर के आसमान में पहली उड़ान भरी, तो सरगुजा के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. रायपुर से अंबिकापुर और बिलासपुर को जोड़ने वाली इस सेवा से क्षेत्र के विकास और कनेक्टिविटी को नई उड़ान मिलने की उम्मीद थी. लेकिन जल्द ही यह सपना टूटने लगा. खराब रूट डिज़ाइन, टिकट बुकिंग में गड़बड़ी और कंपनी की अनियमितता ने इस सेवा को बेकार कर दिया.
साकेत त्रिपाठी, आम आदमी पार्टी (आप), सरगुजा, ने गुस्से में कहा, “फ्लाईबिग की लापरवाही ने न केवल यात्रियों को परेशान किया, बल्कि अंबिकापुर एयरपोर्ट पर संसाधनों की बर्बादी भी की. विमान उड़े या न उड़े, एयरपोर्ट अथॉरिटी को 70 से ज्यादा कर्मचारियों की ड्यूटी लगानी पड़ रही है, जिसमें सुरक्षा, मेडिकल, एटीएस और फायर विभाग शामिल हैं. टिकट बुकिंग की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है, जिससे लोग परेशान हैं. यह सरासर जनता के साथ धोखा है!”
विपक्ष का तीखा हमला, सत्तापक्ष पर सवाल…
विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सत्तापक्ष को कटघरे में खड़ा किया है. उनका आरोप है कि सरकार ने हवाई सेवा शुरू करने का ढोल तो पीटा, लेकिन इसके सुचारू संचालन के लिए कोई योजना नहीं बनाई. रूट निर्धारण की खामियां और कंपनी की मनमानी ने इस सेवा को मजाक बना दिया. विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह सरगुजा की जनता के साथ विश्वासघात है.
सांसद चिंतामणि महराज ने कहा, “हवाई सेवा शुरू होने पर लोगों में खुशी थी, लेकिन अनियमित उड़ानें, बुकिंग की मुश्किलें और रूट की खामियों ने इस खुशी को छीन लिया. हम अब इंडिगो जैसी विश्वसनीय कंपनियों से बात कर रहे हैं, ताकि अंबिकापुर को नियमित और सुगम हवाई सेवा मिले. सरगुजा के लोग इसका हकदार हैं”
स्थानीय लोग अब इस बात से आहत हैं कि जिस सेवा को लेकर इतनी उम्मीदें थीं, वह उनकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही. व्यापारी, छात्र और मरीज, जो इस सेवा पर निर्भर थे, अब वैकल्पिक साधनों की तलाश में हैं.





