अंबिकापुर. सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड के अगासी गांव में रविवार को नगेसिया/किसान जनजाति विकास समिति सरगुजा द्वारा दसई करमा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। यह महोत्सव जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को समर्पित होने के साथ-साथ पूर्व जिलाध्यक्ष रंजीवन नागेश के सामाजिक योगदान के सम्मान में समर्पित था। सरगुजा अंचल से करीब 3 हजार से अधिक समाज बंधुओं की उपस्थिति ने इस उत्सव को यादगार बना दिया।
दसई करमा महोत्सव, जो छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदायों द्वारा कार्तिक मास में भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है, इस बार विशेष उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत समाज के अध्यक्ष रसिया राम के नेतृत्व में हुई, जिन्होंने सभी उपस्थितजनों का स्वागत करते हुए कहा कि यह महोत्सव न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का माध्यम है, बल्कि समुदाय की एकजुटता को मजबूत करने का भी अवसर प्रदान करता है। पूर्व प्रांताध्यक्ष प्रदीप नागराज ने रंजीवन नागेश के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से जनजाति समाज को मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।
कार्यक्रम में चंपालाल नागवंशी, रामजीवन नागेश, कुंवर साय, धनराम नागेश, सैनाथ राम, होलसाय, तेजबल राम, जीतू राम, राजेश कुमार, पवन साय, करम साय, त्रिवेदी नागेश, प्रदीप कुमार नागराज, सुरेखा नाग, अमृता नाग, सबीना नाग सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विनोद नागराज और सचिव सिमोन नागेश ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की। सरगुजा के सभी अंचलों से महिलाएं, पुरुष, वृद्धजन और युवा वर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे माहौल उत्साहपूर्ण हो गया।
महोत्सव के मुख्य आकर्षण के रूप में दसई करमा पूजा के बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। पारंपरिक करमा नृत्य, लोक गायन और मांदर की थाप पर थिरकते कलाकारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महिलाओं ने सफेद-लाल साड़ियों में सजकर भाग लिया, जबकि पुरुषों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण की। कार्यक्रम के दौरान “हाय रे सरगुजा नाचे” जैसे प्रसिद्ध लोकगीतों ने वातावरण को सरगुजिया संस्कृति की झलक प्रदान की।
समिति के पदाधिकारियों के अनुसार, यह आयोजन जनजातीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रोत्साहित करमा महोत्सव की तर्ज पर यह स्थानीय स्तर का प्रयास साबित हुआ। उपस्थित लोगों ने रंजीवन नागेश को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया, जो समुदाय के लिए प्रेरणादायक रहा।
यह महोत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और कृषि समृद्धि का संदेश भी देता है। समिति ने आगामी वर्षों में ऐसे आयोजनों को और विस्तार देने की योजना बनाई है, ताकि युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़े रहे। कार्यक्रम शांतिपूर्ण और सफल रहा, जिसमें किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हुई।
