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October 9, 2025 9:25 pm

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छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में 2 माह में ही पुनः तबादलों से मचा हड़कंप, राजनीतिक दबावों ने विभाग की छवि पर उठाए सवाल

अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में हाल ही में हुए बड़े पैमाने पर तबादलों ने न केवल प्रशासनिक फेरबदल को अंजाम दिया, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों से विभाग की किरकिरी करा दी है। जुलाई 2025 में जारी किए गए 183 अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेशों के महज दो माह बाद ही कुछ खंड शिक्षा अधिकारियों को उनकी मूल पदस्थापना पर वापस भेज दिया गया है। इस प्रक्रिया ने न केवल विभागीय पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी असंतोष की लहर पैदा कर दी है। सूत्रों के अनुसार, ये पुनः तबादले राजनीतिक संरक्षण और विधायकों के दबाव का नतीजा हैं, जिससे सरगुजा जिले की राजनीति में जनता की नाराजगी बढ़ रही है।

तबादलों का क्रम : जुलाई से सितंबर तक का ड्रामा…
10 जुलाई 2025 को छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के तहत पूरे राज्य में 183 अधिकारियों और कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किया गया था। इस सूची में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO), खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) और अन्य पदाधिकारियों के नाम शामिल थे, जिन्हें विभिन्न जिलों में नई जिम्मेदारियां सौंपी गईं। उद्देश्य बताया गया था शैक्षणिक कार्यों में दक्षता, पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना। लेकिन ये फेरबदल अभी ठंडे भी नहीं पड़े थे कि सितंबर 2025 के अंत में नई तबादला सूची जारी हो गई, जिसमें 130 से अधिक प्राचार्यों और शिक्षकों के स्थानांतरण के साथ-साथ कुछ BEO पदों पर भी बदलाव किया गया।

इस बीच, नए शिक्षा मंत्री द्वारा प्रस्तावित ट्रांसफर लिस्ट के लीक होने से विवाद और गहरा गया। बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस सूची ने विभागीय सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए। शिक्षा विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षक इस लीक को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई.? सूची में कुछ नामों को लेकर अटकलें तेज हैं, और विभागीय खेमों के बीच तनाव बढ़ गया है।

प्रभावित अधिकारी : मनोज वर्मा और मनीष कुमार का केस…
इस पूरे प्रकरण का केंद्र बिंदु सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड के खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) पद पर है। जुलाई के आदेशों के तहत व्याख्याता (एल.वी. भूगोल, टी-सेवर्ग) मनोज वर्मा को प्रतिनियुक्ति पर लेते हुए सहायक प्राध्यापक के पद पर डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) अंबिकापुर, सरगुजा भेजा गया था। लेकिन राजनीतिक संरक्षण के दबाव में उन्हें तुरंत ही BEO लुंड्रा की जिम्मेदारी वापस सौंप दी गई। सूत्र बताते हैं कि मनोज वर्मा को विधायकों के चहेते के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने विकासखंड स्तर पर अपना ‘डेरा’ जमाने के लिए दबाव बनाया।

दूसरी ओर, विशेष आरक्षित जनजाति (PVTG) से आने वाले सहायक खंड शिक्षा अधिकारी (ई-सेवर्ग) मनीष कुमार का मामला और भी विवादास्पद है। बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर से स्थानांतरित होकर उन्हें BEO लुंड्रा, सरगुजा की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन सप्ताह भर के अंदर ही राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें लुंड्रा से हटाकर मैनपाट (सरगुजा) BEO बना दिया गया। मनीष कुमार जैसे अधिकारियों के साथ हो रही इस ‘म्यूटेबल’ तबादला प्रक्रिया ने विभाग में भेदभाव के आरोपों को हवा दे दी है।
लुंड्रा विकासखंड के कर्मचारियों का कहना है कि मनोज वर्मा के कार्यशैली से वे नाखुश हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव के आगे उनकी आवाज दब गई है। एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ये तबादले शिक्षा की गुणवत्ता से ज्यादा सत्ता के खेल लग रहे हैं। स्थानीय स्तर पर शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है।”

राजनीतिक हस्तक्षेप : विधायकों का ‘डेरा’ और जनता की परेशानी…
सूत्रों के मुताबिक, ये पुनः तबादले चहेते विधायकों के लोगों को विकासखंड स्तर पर मजबूत करने की कोशिश हैं। सरगुजा की राजनीति पहले से ही संवेदनशील रही है, और ये घटनाएं जनता में असंतोष पैदा कर रही हैं। शिक्षा विभाग में रिफॉर्म की अटकलों के बीच ये लीक और तबादले सिस्टम की कमजोरियों को उजागर कर रहे हैं।

हालांकि, जुलाई के तबादलों को “प्रशासनिक सुधार” बताते हुए विभाग ने कहा था कि ये कदम शैक्षणिक दक्षता बढ़ाने के लिए हैं। लेकिन सितंबर के पुनः फेरबदल ने इन दावों पर पानी फेर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना पारदर्शी नीति के ऐसे तबादले विभाग की विश्वसनीयता को और कमजोर करेंगे।
निष्कर्ष: शिक्षा पर सियासत का साया
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां शिक्षा विकास का आधार है, ऐसे राजनीतिक दखलंदाजी से न केवल अधिकारी परेशान हैं, बल्कि छात्र-छात्राओं का भविष्य भी खतरे में पड़ रहा है। सरगुजा और बलरामपुर जैसे आदिवासी बहुल जिलों में स्थिरता की जरूरत है, लेकिन तबादलों का यह ‘एक्सप्रेस’ मोड विभाग को झकझोर रहा है। जनता की नजरें अब सरकार पर हैं—क्या ये विवाद सुधार लाएंगे या सत्ता के खेल जारी रहेंगे..?

ATD News
Author: ATD News

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