अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर गर्भवती महिला की मौत के बाद अपनी लापरवाही छिपाने का गंभीर आरोप लगा है. परिजनों के अनुसार, सूरजपुर के ग्राम पीढ़ा निवासी एक गर्भवती महिला को रात 11 बजे जिला अस्पताल पहुंचाया गया था, लेकिन समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई. इसके बावजूद डॉक्टरों ने शव को छिपाने के लिए उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने खुलासा किया कि महिला पहले ही मर चुकी थी. इतना ही नहीं, 108 एम्बुलेंस स्टाफ ने परिजनों से 800 रुपये रिश्वत वसूलकर आज सुबह 5 बजे उन्हें अस्पताल से छोड़ा. इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
परिजनों के मुताबिक, पीड़ित महिला ग्राम पीढ़ा (सूरजपुर जिला) की रहने वाली थी. प्रसव पीड़ा होने पर बीते रात करीब 11 बजे परिजन उसे सूरजपुर जिला अस्पताल ले गए. वहां डॉक्टरों द्वारा महिला का समय पर उचित इलाज शुरू नहीं किया गया. परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण महिला की हालत बिगड़ती चली गई और रात के अंधेरे में ही उसकी मौत हो गई. मौत के बावजूद डॉक्टरों ने परिजनों को गुमराह करते हुए महिला को ‘गंभीर स्थिति’ बताकर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया.
108 एम्बुलेंस से शव को अंबिकापुर ले जाया गया. मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर डॉक्टरों ने जांच के बाद परिजनों को बताया कि महिला की मौत पहले ही हो चुकी थी. परिजनों ने आरोप लगाया कि सूरजपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने अपनी गलती छिपाने के लिए ऐसा किया, ताकि कोई जांच न हो. इसके अलावा, एम्बुलेंस स्टाफ ने रेफरल प्रक्रिया के दौरान परिजनों से 800 रुपये की रिश्वत ली और सुबह करीब 5 बजे ही उन्हें अस्पताल से लौटने दिया. परिजन आर्थिक रूप से कमजोर हैं और इस घटना से वे पूरी तरह टूट चुके हैं.
परिजनों के गंभीर आरोप
परिजनों ने सूरजपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर समय पर इलाज न करने, आवश्यक दवाओं और सुविधाओं की कमी तथा लापरवाही का खुला आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि अगर रात में ही सही समय पर इलाज किया जाता, तो महिला की जान बचाई जा सकती थी. रेफरल के बाद रिश्वत लेना स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर करता है.
सुगंती राजवाड़े, मितानिन “महिला को रात 11 बजे अस्पताल ले गए थे। जब प्रसव पीड़ा होने लगा और तबियत बिगड़ने लगी तब कई बार उपस्थित नर्स सहित अन्य स्टाफ से कही लेकिन,किसी ने एक न सुनी। जब गर्भवती महिला की सांसे थम गई तब आनन फानन में डॉक्टर, स्टाफ आए महिला को देख कुछ घंटे इंतजार कराया, लेकिन कोई इलाज नहीं किया। मौत हो गई तो रेफर कर दिया। यह लापरवाही है, गांव की महिलाओं को न्याय चाहिए.”
गोपाल राजवाड़े, मृतिका का भाई: “बहन को प्रसव पीड़ा होने के बाद,जिला अस्पताल सूरजपुर लेकर आए और 3 घंटे तक अस्पताल में रखे, लेकिन डॉक्टर द्वारा कोई भी उपचार नहीं किया गया,इसके बाद बहन बेहोश हो गई इसके बाद डॉक्टर द्वारा बिना कुछ बताए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया,यहां डॉक्टर ने जांच के बाद कहा पहले ही मौत हो चुकी थी.
शोभनाथ, मृतिका का ससुर : “बहु को अस्पताल जैसे ही लाए एंबुलेंस का चालक 800 रुपए की डिमांड कर वापस चला गया,इधर इलाज बिना मेरी बहु की मौत हो गई.
मितानिन ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल यह साबित कर दी है,की सूरजपुर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओ की हालत दयनीय है जिसकी वजह से गर्भवती महिला की जान चली जाए.
यह घटना छत्तीसगढ़ के ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र की कमियों को फिर से सामने लाती है, जहां गर्भवती महिलाओं के लिए 108 एम्बुलेंस और जिला अस्पताल जैसी सुविधाएं अपर्याप्त साबित हो रही हैं.
