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October 9, 2025 9:18 pm

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लुंड्रा विकासखंड में BEO पद पर टकराव : पुराने अधिकारी ने हाईकोर्ट से स्टे लिया, नए को जॉइन करने के निर्देश : जिला शिक्षा अधिकारी की भूमिका पर सवाल

अंबिकापुर, 22 सितंबर 2025 (स्पेशल रिपोर्ट): छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड में शिक्षा विभाग की व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है। एक ओर छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय के 10 जुलाई 2025 के आदेश के तहत पुराने खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) मनोज वर्मा को हटा कर मनीष कुमार को नया BEO नियुक्त किया गया, वहीं पुराने अधिकारी ने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर प्राप्त कर अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश की। स्टे की समयसीमा समाप्त होते ही नए अधिकारी को जॉइन करने के निर्देश जारी हो गए, लेकिन अब एक ही पद पर दो अधिकारियों का आमना-सामना हो गया है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) डॉ. दिनेश कुमार झा की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, जो दोनों पक्षों के बीच फंसे नजर आ रहे हैं।

घटनाक्रम की पूरी जानकारी…

यह विवाद 10 जुलाई 2025 को शुरू हुआ, जब छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय ने सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड में पदस्थ खंड शिक्षा अधिकारी मनोज वर्मा को हटाने का आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत मनीष कुमार को नया BEO नियुक्त कर दिया गया। मंत्रालय के इस फैसले का आधार मनोज वर्मा के कथित ‘कारनामे’ बताए जा रहे हैं, हालांकि विभागीय स्तर पर इनकी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। सूत्रों के अनुसार, वर्मा पर विकासखंड में शिक्षा संबंधी अनियमितताओं के आरोप लगे थे, जिसके चलते यह तबादला किया गया।

मंत्रालय के आदेश जारी होते ही मनोज वर्मा ने आनन-फानन में बिलासपुर हाईकोर्ट का रुख किया और स्टे ऑर्डर प्राप्त कर लिया। इस स्टे के प्रभाव में नए BEO मनीष कुमार जॉइन नहीं कर सके। लेकिन जैसे ही स्टे ऑर्डर की समयावधि समाप्त हुई, जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार झा ने मनीष कुमार को तत्काल जॉइन करने के निर्देश जारी कर दिए। अब स्थिति यह है कि पुराने BEO मनोज वर्मा कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जबकि नए अधिकारी मनीष कुमार भी अपना हक जमा रहे हैं। विकासखंड कार्यालय में दोनों अधिकारियों की उपस्थिति से कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, और शिक्षा संबंधी निर्णय लेना मुश्किल हो गया है।

DEO की दोहरी भूमिका पर सवाल…

इस पूरे प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार झा की भूमिका सबसे ज्यादा चर्चा में है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, डॉ. झा एक ओर हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर पुराने BEO को चार्ज हैंडओवर करने की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मंत्रालय के आदेशानुसार नए BEO को जॉइन करने के निर्देश दे रहे हैं। एक हालिया बैठक में डॉ. झा ने कथित तौर पर कहा, “पुराने अधिकारी को चार्ज देना चाहिए, लेकिन मंत्रालय के आदेश के अनुसार नए को जॉइन करने को कहा गया है।” इतना ही नहीं, बातचीत के दौरान वे यह भी कह बैठे, “किसी को कैसे भगा सकते हैं..?” इस बयान ने उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय शिक्षक संघों और अभिभावकों का कहना है कि DEO की यह अस्पष्टता शिक्षा विभाग की व्यवस्था को और कमजोर कर रही है। एक वरिष्ठ शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “डॉ. झा पुराने BEO के कंधे पर हाथ रखते दिख रहे हैं, लेकिन आधिकारिक आदेश नए की ओर इशारा कर रहे हैं। इससे विकासखंड में काम ठप हो गया है। परीक्षाओं, शिक्षक भर्ती और स्कूल इंस्पेक्शन सब प्रभावित हो रहे हैं।”

विभागीय स्तर पर क्या हो रहा है..?

सरगुजा जिले के शिक्षा विभाग में यह पहला ऐसा मामला नहीं है। पिछले कुछ महीनों में कई तबादलों और कोर्ट मामलों के कारण प्रशासनिक अराजकता बढ़ी है। मंत्रालय के आदेश के बावजूद स्थानीय स्तर पर अमल न होने से जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है।

आगे क्या..?

यह विवाद जल्द सुलझना चाहिए, वरना लुंड्रा के सैकड़ों स्कूलों और हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग सकता है। शिक्षाविदों का मानना है कि ऐसी स्थितियों में विभागीय दखल तेज करना जरूरी है। क्या मंत्रालय इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करेगा या तत्काल केंद्रीय हस्तक्षेप करेगा..? सवाल वही हैं कि शिक्षा विभाग की यह व्यवस्था कैसे संभलेगी, जब जिम्मेदार अधिकारी खुद उलझनों में फंसे हों।

ATD News
Author: ATD News

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