अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लखनपुर क्षेत्र में एक बार फिर अवैध धर्मांतरण का मामला सामने आया है। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में प्रार्थना सभा के नाम पर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने का आरोप लगा है। जिले के लखनपुर बेलदगी (उतार पारा) में स्थित एक सेड (प्रार्थना सभा) परिसर में 25 अगस्त को दोपहर करीब 2 बजे पास्टर यूशू कुजूर और उनके सहयोगी अनिल द्वारा आयोजित सभा के दौरान विभिन्न जातियों के लोग उपस्थित थे। आरोप है कि वहां “प्रभु की शरण में आने” और “ज्ञान” देने के बहाने धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। लेकिन स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने बीच में हस्तक्षेप कर सभा को रोक दिया, जिससे प्रयास विफल हो गया।
यह घटना सरगुजा जिले में बढ़ते धर्मांतरण विवादों की नई कड़ी जोड़ती है, जहां आर्थिक कमजोरी और प्रलोभन के जरिए आदिवासी समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, सभा में हिंदू और आदिवासी परिवारों के सदस्य शामिल थे, जिन्हें बीमारियों के इलाज और आर्थिक सहायता का लालच दिया जा रहा था। बजरंग दल के जिला संयोजक ने बताया, “हमें सूचना मिली कि पास्टर यूशू कुजूर और अनिल गरीब परिवारों को प्रलोभन देकर धर्म बदलने के लिए मजबूर कर रहे थे। इस दौरान तुरंत मौके पर बजरंगदल खंड लखनपुर पहुंचकर सभा रोका।”
25 अगस्त को लखनपुर बेलदगी (उतार पारा) के एक निजी परिसर में सेड सभा का आयोजन किया गया था। सूत्रों के अनुसार, पास्टर यूशू कुजूर, जो स्थानीय स्तर पर ईसाई प्रचार के लिए जाना जाता है, ने अनिल के साथ मिलकर सभा का संचालन किया। सभा में करीब 30-40 लोग शामिल थे, जिनमें विभिन्न जातियों के हिंदू और आदिवासी समुदाय के सदस्य थे। आरोप है कि वहां बाइबल वितरण, प्रार्थना और “चंगाई” (हीलिंग) के नाम पर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाया जा रहा था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “पास्टर ने कहा कि प्रभु यीशु की शरण में आने से सभी समस्याएं हल हो जाएंगी। गरीब परिवारों को मुफ्त भोजन और चिकित्सा का वादा किया जा रहा था।”
बजरंग दल को गुप्त सूचना मिलने पर उनके कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। उन्होंने सभा में घुसकर नारेबाजी की और लोगों को समझाया कि यह अवैध गतिविधि है। हंगामे के कारण सभा बीच में ही समाप्त हो गई। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने वीडियो रिकॉर्डिंग भी की, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। संगठन का दावा है कि सरगुजा जैसे आदिवासी क्षेत्रों में ऐसे प्रयास बढ़ रहे हैं, जो सामाजिक सद्भाव को खतरे में डाल रहे हैं।





