अंबिकापुर. कोतवाली थाना क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे हैं अपराधों के बीच अब मासूम बच्चे भी सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं तीन दिन पहले जहां एक मासूम को स्कूटी चालक बैठ कर ले गया तो वही शहर के होटल से दर्जनों की संख्या में संदिग्ध महिलाओं का मिलना.. इस बात की और इशारा करता है..कि कोतवाली पुलिस अपने थाना क्षेत्र में आने जाने वाले लोगों पर निगाह रखने में बड़ी लापरवाही कर रही है!
ये है घटना
अंबिकापुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में शनिवार की शाम करीब 6:00 बजे एक बच्चा जिसकी उम्र करीब 6 वर्ष थी वह अपने घर से गायब हो गया कुछ देर बाद जब घर वालों को इसकी भनक लगी तो वह बच्चे को खोजने गली मोहल्ला और सार्वजनिक स्थल तक पहुंचने लगे लेकिन बच्चे का कुछ भी पता नहीं चला इसके बाद करीब 8:00 बजे से बच्चों की तलाश के लिए परिजन और मोहल्ले के लोग मोहल्ले और शहर के अलग-अलग वेबसाइट प्रतिष्ठा और घरों के सीसीटीवी कैमरे का ढूढने लगे, इस दौरान लापता बच्चे के पिता ने कोतवाली थाने में इस बात की सूचना दी लेकिन सूचना के बाद कोतवाली पुलिस ने उसे यह कहकर बैरंग वापस भेज दिया कि पहले अपने स्तर पर बच्चों की खोज कर लीजिए. परिजन और मोहल्ले वाले एक बार फिर सीसीटीवी की कैमरे के भरोसे बच्चों की तलाश करने लगे शनिवार को लापता बच्चे की खोज भी रविवार और शनिवार की रात करीब 1:30 बजे तक चलती रही. इस दौरान वहां उपस्थित कुछ पत्रकारों ने इसकी सूचना पुलिस कप्तान को दी है जिसके बाद किसी तरह से कोतवाली पुलिस हरकत में आई और एक ड्राइवर और एक सिपाही सत्तीपारा के उस इलाके में पहुंचे जहां से बच्चा गायब हुआ था. और फिर शिशु मंदिर के थोड़ा पहले पुराने बस स्टैंड जाने वाले रास्ते में एक घर के सीसीटीवी कैमरे में शाम से लापता बच्चा नजर आया. जिसको पहले एक कार में बिठाने की कोशिश की गई, बाद में एक काला पगड़ी बांधे धोती पहने इंसान के इशारे करने के बाद एक अज्ञात व्यक्ति अपने स्कूटी पर बैठाकर ले गया. सर पर काली पगड़ी बांधे उसे व्यक्ति की पहचान सत्तीपारा के ही बिरंचि बीरांची नामक अधेड़ व्यक्ति के रूप में हुई, इसके बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस से उसे ले जाकर पूछताछ करने की बात कही चुकी, मामला पुलिस कप्तान की संज्ञान में दिया गया. किसी तरह से कोतवाली पुलिस संदीप बिरंचि को कोतवाली थाने ले गई बीरांची पर बढ़ते दबाव को देख रविवार की सुबह एक अखबार के होकर ने उसे कोतवाली थाना में यह कह कर छोड़ दिया कि यह बच्चा दर्रीपारा इलाके में घूम रहा था.. लोगों की जागरूकता और स्थानीय लोगों की पहल के बाद किसी तरह से बच्चा अपने परिजनों को तो मिल गया लेकिन कोतवाली पुलिस पर अभी कई सवाल खड़े हैं!
कोतवाली पुलिस की लापरवाही..
दरअसल जिस व्यक्ति ने बच्चों को कोतवाली थाने छोड़ा क्या पुलिस ने उससे पूछताछ की खैर पुलिस उससे पूछताछ ना भी करें पर पुलिस ने क्या अभी तक उस स्कूटी सवार की पहचान करने की कोशिश की है जिसने शक्ति पर इलाके से बच्चे को अपने स्कूटी पर बैठ कर अगवा कर लिया था… निश्चित तौर पर जवाब ना में होगा क्योंकि शनिवार ,रविवार की दरमियानी रात बच्चों की जानकारी और आरोपियों का हुलिया सीसीटीवी में देखने के बाद भी कोतवाली पुलिस आज तक उस स्कूटी चालक के पास तक नहीं पहुंच पाई है जिसने 6 साल के मासूम बच्चों को अपहरण करने की नाकामयाब कोशिश की थी.. ऐसे में साफ लगता है कि अगर पुलिस मासूम बच्चे को अगवा करने वाले लोगों को पकड़कर उससे अगवा करने का कारण पता नहीं लगा पाती है तो ऐसे में आम नागरिक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा दहशत के साए में जीने को मजबूर रहेंगे.
कप्तान ने दिखाई तत्परता..
इस पूरे मामले में सरगुजा पुलिस अधीक्षक राजेश अग्रवाल की तत्परता और लोगों की जागरूकता की वजह से बच्चा किसी तरह से मिल तो गया.. पर करीब एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अगवा करने वाले स्कूटी सवार की गिरफ्तारी न होना निश्चित तौर पर कोतवाली पुलिस की कार्यपाली पर बड़ा सवाल उठती है.





