अंबिकापुर/बलरामपुर, सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में पुलिस हिरासत में युवक उमेश सिंह की संदिग्ध मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. मौत के चौथे दिन भी उमेश के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सका है, क्योंकि परिवार वाले मुआवजे, दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने और शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग पर अड़े हुए हैं. मांगें पूरी नहीं होने तक परिवार ने शव लेने से साफ इनकार कर दिया है. पुलिस ने उमेश सिंह के शव को बलरामपुर जिले के मरच्यूरी में रखवाया है. बताया जा रहा है कि आज (12 नवंबर) शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जा सकता है, ताकि मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके.
घटना का पूरा विवरण…घटना 30-31 अक्टूबर की रात बलरामपुर के चांदो रोड स्थित धनंजय ज्वेलर्स दुकान में हुई बड़ी चोरी से जुड़ी है. पुलिस ने चोरी के मामले में जशपुर जिले से 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें उमेश सिंह (उम्र 19-21 वर्ष) भी शामिल था. पुलिस के अनुसार, चोरी का माल बरामद करने के दौरान उमेश की तबीयत अचानक बिगड़ गई. उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. पुलिस का दावा है कि उमेश पिछले एक साल से सिकल सेल एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित था और मौत मेडिकल कारणों से हुई. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) ने मारपीट के आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
परिवार का आरोप पुलिस पिटाई से मौत…मृतक उमेश सिंह के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि उमेश पूरी तरह स्वस्थ था और पुलिस की बेरहमी से पिटाई व प्रताड़ना के कारण उसकी मौत हुई. घर से गिरफ्तार करते समय भी पिटाई की गई थी. परिजनों ने शव लेने से इनकार कर हंगामा किया और निष्पक्ष जांच की मांग की. प्रदर्शन और मांगें,पीड़ित परिवार ने सर्व आदिवासी समाज के साथ मिलकर 11 नवंबर को सरगुजा रेंज के आईजी दफ्तर के सामने जोरदार प्रदर्शन किया,करते हुए मांग रखी,कि उचित मुआवजा,दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज,शव का दोबारा पोस्टमार्टम,परिजनों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं हुईं तो शव नहीं लेंगे.
यह मामला कस्टोडियल डेथ का रूप ले चुका है, जिससे इलाके में तनाव है. प्रशासन किसी बड़े आंदोलन को रोकने की कोशिश कर रहा है. आगे की जांच से सच्चाई सामने आएगी.





