अंबिकापुर. सरगुजा जिले के अंबिकापुर शहर में सत्तीपारा स्थित एक पुराना तालाब, जो कचरे के ढेरों से पट गया था और जिससे गुजरना लोगों के लिए जोखिम भरा हो चुका था, अब एक सुंदर और स्वच्छ छठ घाट के रूप में निखर उठा है. इस तालाब को ‘पैलेस घाट’ के नाम से जाना जाने लगा है. इस परिवर्तन के पीछे हैं पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव का निजी संकल्प और खर्च, जिन्होंने शहरवासियों की सुविधा के लिए इस परियोजना को हाथ में लिया. अब यह स्थान न केवल कचरा मुक्त हो गया है, बल्कि छठ पूजा के साथ साथ अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए एक आदर्श घाट बन चुका है, जहां शहर के हजारों लोग बिना किसी असुविधा के सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर सकेंगे.
कचरे का अंबार बना था तालाब, गुजरना था नामुमकिन…सत्तीपारा इलाके का यह तालाब लंबे समय से उपेक्षित पड़ा था. कचरे, प्लास्टिक और अन्य अपशिष्टों से भरा यह तालाब न केवल पर्यावरण के लिए खतरा बन गया था, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक अभिशाप. लोग इस रास्ते से गुजरने से कतराते थे, क्योंकि दुर्गंध और कीचड़ भरी जगह पर चलना जोखिम भरा था. बारिश के दिनों में तो यह जगह जलमग्न हो जाती, जिससे आसपास के निवासियों को काफी परेशानी होती. स्थानीय लोगों का कहना था कि यह तालाब शहर की एक काली छाया बन चुका था, और इसे साफ करने की मांग वर्षों से उठ रही थी, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठा.

पूर्व उपमुख्यमंत्री का संकल्प : निजी धन से छठ घाट का निर्माण…इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सरगुजा राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य टी.एस. सिंहदेव ने व्यक्तिगत स्तर पर हस्तक्षेप किया. उन्होंने अपने निजी पैसे से तालाब की सफाई, सौंदर्यीकरण और छठ घाट के निर्माण का बीड़ा उठाया. सिंहदेव ने कहा, “यह तालाब शहर का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन कचरे के कारण इसे भुला दिया गया था. छठ महोत्सव, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, के लिए एक सुरक्षित और सुंदर स्थान की आवश्यकता थी. मैंने संकल्प लिया कि जहां से लोग दूर भागते थे, वहां अब पूजा-अर्चना का केंद्र बनेगा.”
परियोजना के तहत तालाब से टन भर कचरा हटाया गया, पानी की सफाई की गई, और घाट पर सीढ़ियां, रेलिंग, प्रकाश व्यवस्था का विकास किया गया. छठ पूजा के लिए विशेष पंडाल, सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित करने की व्यवस्था और आसपास की सड़कों की मरम्मत भी शामिल है. कुल मिलाकर, यह परिवर्तन न केवल पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक बन गया है.
शहरवासियों में खुशी की लहर, छठ पूजा बनेगी और भी भव्य…इस पहल से अंबिकापुर के निवासियों में उत्साह का संचार हो गया है. स्थानीय निवासी मनोज सिंह और राजू कश्यप ने बताया, “पहले इस तालाब के पास से गुजरना डरावना था, लेकिन अब यह जगह स्वर्ग जैसी लग रही है. छठ पर यहां अर्घ्य देना सपने जैसा लगेगा,इन्होंने यह भी कहा, “टीएस सिंहदेव की यह पहल सराहनीय है. यह दिखाता है कि नेतृत्व का मतलब केवल सत्ता नहीं, बल्कि जनसेवा है”
वही छठ पूजा, जो 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, के लिए पैलेस छठ घाट पर व्यापक तैयारियां चल रही हैं, जिसमें सुरक्षा, स्वच्छता और चिकित्सा सुविधाओं का प्रबंधन शामिल है. अब यह घाट अब शहर के अन्य छठ घाटों के लिए एक मॉडल बन सकता है.
टी.एस. सिंहदेव की यह पहल न केवल छठ पूजा को आसान बनाएगी, बल्कि अंबिकापुर को एक स्वच्छ और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर के रूप में स्थापित करने में योगदान देगी. शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसी पहलें भविष्य में और बढ़ेंगी, ताकि हर कोना सुंदर और उपयोगी बने.





