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October 10, 2025 2:06 am

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डडगांव के ग्रेवल पब्लिक स्कूल में सुविधाओं की कमी : 700 बच्चों का शिक्षा का अधिकार खतरे में,जांच में देरी

अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड अंतर्गत डडगांव के ग्रेवल पब्लिक स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण 700 से अधिक बच्चों का शिक्षा का अधिकार (RTE) खतरे में है। निजी तौर पर संचालित इस स्कूल में कागजों पर सुविधाओं का दावा तो किया जाता है, लेकिन वास्तविकता में न तो पर्याप्त कक्षाएं हैं, न खेल का मैदान, सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन केवल फीस वसूलने में रुचि रखता है, जबकि शिक्षा की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे पर ध्यान नहीं देता।

जांच के आदेश, कार्रवाई ठप…
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) डॉ. दिनेश कुमार झा ने स्कूल की शिकायतों के बाद जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन महीनों बाद भी न जांच पूरी हुई है और न ही कोई ठोस कार्रवाई हुई। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा विभाग की यह निष्क्रियता बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। एक अभिभावक ने बताया, “स्कूल में कई कक्षाओं को एक ही कमरे में पढ़ाया जाता है, जिससे भीड़भाड़ रहती है। खेल का मैदान नाममात्र का भी नहीं है।”

RTE नियमों का खुला उल्लंघन…
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act, 2009) और छत्तीसगढ़ सरकार के नियमों के तहत निजी स्कूलों को कड़े मानकों का पालन करना अनिवार्य है। ग्रेवल पब्लिक स्कूल में इनका स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है।

प्रमुख नियम इस प्रकार हैं :
25% आरक्षण : आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), SC/ST और अन्य वंचित समूहों के बच्चों के लिए प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीटें मुफ्त शिक्षा, किताबों और वर्दी के साथ आरक्षित होनी चाहिए।
बुनियादी सुविधाएं : प्रत्येक ग्रेड के लिए अलग कक्षा (न्यूनतम 400 वर्ग फुट), खेल का मैदान, लड़के-लड़कियों के लिए अलग शौचालय (1:20 अनुपात), सुरक्षित पेयजल, बाउंड्री वॉल, बिजली, लाइब्रेरी, और दिव्यांग बच्चों के लिए रैंप अनिवार्य हैं।
शिक्षक योग्यता : सभी शिक्षकों के पास D.El.Ed या B.Ed जैसी योग्यता होनी चाहिए, और प्यूपिल-टीचर अनुपात 30:1 से अधिक नहीं होना चाहिए।
मान्यता : बिना राज्य शिक्षा विभाग की मान्यता के स्कूल संचालित नहीं हो सकता। उल्लंघन पर लाइसेंस रद्दीकरण या जुर्माना हो सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती समस्या…
सरगुजा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन RTE नियमों का अनुपालन और निगरानी का अभाव चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि निजी स्कूलों पर सख्ती के साथ-साथ सरकारी स्कूलों को मजबूत करने की जरूरत है ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

शिक्षा अधिकारी का बयान…
डीईओ डॉ. दिनेश कुमार झा ने कहा, “हमें शिकायतें मिली हैं, और जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, अभिभावकों का कहना है कि बिना समयबद्ध कार्रवाई के यह बयान केवल खानापूर्ति है।

बरहाल ग्रेवल पब्लिक स्कूल का मामला सरगुजा जिले की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। शिक्षा विभाग से अपेक्षा है कि वह त्वरित जांच और कठोर कार्रवाई कर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करे। साथ ही, RTE नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और जवाबदेही तय की जानी चाहिए।

ATD News
Author: ATD News

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