सरगुजा. अम्बिकापुर में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था ने एक बार फिर एक निर्दोष जीवन का अंत कर दिया. सड़क हादसे में घायल हुए पहाड़ी कोरवा समाज के एक युवक को समय पर एम्बुलेंस न मिल पाने के कारण उसकी रायपुर ले जाते समय मौत हो गई. इस घटना ने पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने इस मामले पर तीखा बयान देते हुए मीडिया के सामने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा चुकी हैं और यह गरीबों के लिए मौत का फरमान बन गया है.
घटना का पूरा विवरण : हादसे से मौत तक का सफर..
जानकारी के अनुसार, एक ग्रामीण इलाके में सड़क हादसे का शिकार हुआ यह पहाड़ी कोरवा युवक जिसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती किया गया. उसकी हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उसे रायपुर के बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया, जहां वेंटिलेटर की आवश्यकता बताई गई. लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने एम्बुलेंस उपलब्ध कराने में देरी की. परिजनों के अनुसार, एम्बुलेंस राज्यपाल रमेन डेका के प्रोटोकॉल ड्यूटी पर लगी हुई थी, जिसके कारण युवक को समय पर वाहन नहीं मिल सका. लगभग 26 घंटे की मशक्कत के बाद सोमवार शाम को युवक को रायपुर के लिए रवाना किया गया. रास्ते में ही उसकी हालत बिगड़ गई और रायपुर पहुंचने से पहले उसने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद परिजनों ने सदमा सहते वापस लौट मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में शव रखकर प्रदर्शन कर दिया.
पूर्व उपमुख्यमंत्री का बयान : अस्पताल प्रबंधन पर सवाल…
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा, “प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. अस्पताल में मरीज है आपके पास, यदि उनको रेफर कर रहे हैं और वेंटिलेटर युक्त एम्बुलेंस चाहिए, तो एम्बुलेंस किसी वीआईपी के ड्यूटी पर लगी हुई हैं, यह तो अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि मरीज के जीवन को प्राथमिकता देते हुए बाजार से ही एम्बुलेंस उपलब्ध करा दें. लेकिन ऐसा न करके वीआईपी के जाने का इंतजार किया गया. तब तक मरीज की स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि रास्ते में ही रायपुर पहुंचने से पहले उसने दम तोड़ दिया”
सिंहदेव ने आगे कहा, “इसके बाद तो हद हो गई. रायपुर से घर वापसी में भी शव वाहन उपलब्ध नहीं होता. परिवार को 9,000 रुपये खर्च करके ही शव को वापस लाना पड़ता है. और समाज के सामने अपना दुख-दर्द रखना पड़ता है. यह घटना प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कई बड़े सवाल खड़े कर रही है. गरीब और आदिवासी समुदाय के लोग ऐसी व्यवस्था में कैसे जीवित रहें..?”
टीएस सिंहदेव, जो स्वयं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, ने इस बयान के माध्यम से वर्तमान सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं.
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल : क्या कहते हैं आंकड़े..?
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी कोई नई बात नहीं है. राज्य के कई जिलों में एम्बुलेंस की कमी, डॉक्टरों की अनुपस्थिति और उपकरणों का अभाव आम शिकायतें हैं. विशेष रूप से आदिवासी बहुल इलाकों जैसे सूरजपुर, जशपुर और कोरिया में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.
