अंबिकापुर. सरगुजा जिले में विकास के नाम पर किए गए वादों की हकीकत अब खुल रही है. लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रबोध मिंज पर ग्रामीणों ने सीधा निशाना साधा है, आरोप लगाते हुए कि चुनावी वादों के बाद वे इलाके से ‘गायब’ हो गए हैं,इतना ही नहीं ग्रामीण इनके चेहरा देखने के लिए तरस गए हैं. लखनपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों चौडया, कटई, पानी, साचर घाट और आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने सोमवार 22 सितंबर 2025 को कलेक्ट्रेट पहुंचकर सड़क निर्माण की मांग को लेकर जनदर्शन में शिकायत दर्ज कराई. उनका कहना है कि आज तक एक किलोमीटर सड़क भी नहीं बनी, जिससे ग्रामीणों को जानलेवा परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.
चुनावी वादे खोखले…विधायक प्रबोध मिंज चुनाव के समय अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास के बड़े-बड़े सपने दिखाए, लेकिन जीत के बाद न तो गांवों में आए और न ही सड़क जैसी बुनियादी सुविधा पर कोई काम हुआ,जनता का कहना, क्या हम आपके लिए सिर्फ वोट बैंक हैं..?
सड़क की कमी से ‘मौत का सौदा’: झोले में मरीज,पैदल यात्रा…
लुंड्रा क्षेत्र के इन गांवों में सड़क न होने से ग्रामीणों की जिंदगी नर्क बनी हुई है. बरसात के मौसम में कीचड़ भरे गड्ढे वाले रास्ते पर चलना तो दूर, बीमार पड़ने पर मरीजों को झोलों या डोलियों में लादकर घंटों पैदल चलाना पड़ता है. एक ग्रामीण महिला ने बताया, “हाल ही में उसकी बहू को प्रसव पीड़ा हुई, लेकिन एम्बुलेंस तो क्या, कोई वाहन भी गांव तक नहीं पहुंच सका, वे करीब 5 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एंबुलेंस तक पहुंच सके तब स्वास्थ्य केंद्र नसीब हुआ.
प्रबोध मिंज का ‘गायब’ रिकॉर्ड : चुनावी विवाद से अब विकास घोटाले तक..?
प्रबोध मिंज, जो 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिटिंग विधायक प्रीतम राम को 24,128 वोटों से हराकर भाजपा के पहले ईसाई विधायक बने, अब विकास के मोर्चे पर घिरते नजर आ रहे हैं. चुनाव के समय उनके उम्मीदवारी पर ही विवाद हुआ था, जब स्थानीय हिंदू संगठनों द्वारा विरोध किया गया था. लेकिन जीत के बाद मिंज का इलाके में दौरा कम ही देखा गया. ग्रामीणों का सवाल है, “क्या वे सिर्फ वोट लेने के लिए आए थे..? सड़क, पुलिया और स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई काम क्यों नहीं..?”
सरगुजा जिला, जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है, में सड़कें बनी हुईं चुनौती बनी हैं. भारी बारिश के बाद कई गांव पूरी तरह कट जाते हैं. यह घटना न केवल लुंड्रा विधानसभा की सीमाओं तक सीमित है, बल्कि पूरे सरगुजा डिवीजन में विकास की असमानता को उजागर करती है.
बरहाल अब देखने वाली बात होगी कि,क्या ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं जल्द मुहैया हो पाती है,या सपना बनकर रह जाएगी,यह आने वाले समय में पता चलेगा.
