अंबिकापुर. सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गेरसा में आज सुबह एक दर्दनाक घटना घटी। भारी बारिश के कारण पानी की अत्यधिक भराव से 1991-92 में निर्मित गेरसा जलाशय का एक बड़ा हिस्सा फट गया। इस हादसे से जलाशय का लंबाई हिस्सा (मेड) बह गया, जिसके परिणामस्वरूप आसपास के 30 एकड़ से अधिक क्षेत्र में लगी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। स्थानीय किसानों को भारी नुकसान हुआ है, और प्रशासन ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कर दिए हैं।
दरअसल आज सुबह करीब 9 बजे गेरसा जलाशय के मेड का एक लंबा हिस्सा अचानक बह गया। स्थानीय निवासियों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण जलाशय में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था। जलाशय का निर्माण 1991-92 में किया गया था, जो मुख्य रूप से सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया था। यह जलाशय लुंड्रा विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में खेतीबाड़ी के लिए महत्वपूर्ण स्रोत रहा है, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इसकी मरम्मत और रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया।
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई की। कलेक्टर बिलास भोसकर मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि जलाशय के फटने से निकला पानी आसपास के खेतों में घुस गया, जिससे धान की फसल को अपूरणीय क्षति पहुंची। फिलहाल, कोई जानमाल का नुकसान नहीं होने की जानकारी है, लेकिन किसानों की फसलें पूरी तरह डूब गई हैं। कलेक्टर ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया साथ ही, उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को जलाशय की तत्काल मरम्मत करने का आदेश दिया है।
विभागीय लापरवाही का आरोप…
स्थानीय किसानों और ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जलाशय की उम्र को देखते हुए समय-समय पर रखरखाव और मजबूतीकरण का काम किया जाना चाहिए था। “यह जलाशय 30 से अधिक वर्ष पुराना है, लेकिन विभाग ने कभी इसका निरीक्षण या मरम्मत नहीं की। बारिश के मौसम में पानी का दबाव बढ़ने पर यह हादसा होना तय था,” एक प्रभावित किसान ने बताया। ग्राम पंचायत गेरसा के सरपंच ने भी कहा कि विभाग को पहले से चेतावनी दी गई थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सरगुजा जिले में हाल के दिनों में भारी बारिश का दौर चल रहा है, जिससे कई नदियां और जलाशय उफान पर हैं। गेरसा जलाशय का फटना इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है, जहां कृषि मुख्य आजीविका का स्रोत है। जिले के अन्य जलाशयों जैसे बांकी डैम और घुनघुट्टा डैम भी भरे हुए हैं, लेकिन गेरसा की स्थिति सबसे नाजुक बताई जा रही है।





