महासमुंद/रायपुर, छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। महासमुंद में NHM कर्मचारियों के मंच से संबोधित करते हुए सिंहदेव ने खुलासा किया कि उनकी और कांग्रेस पार्टी की हालिया चुनावी हार का प्रमुख कारण NHM कर्मियों की नाराजगी थी। उन्होंने स्वीकार किया कि चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा न कर पाने के कारण पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
टीएस सिंहदेव, जो छत्तीसगढ़ सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, ने मंच से कहा, “मेरी और कांग्रेस की हार का बड़ा कारण NHM कर्मी थे। हमने चुनाव में जो वादा किया था, वो पूरा नहीं कर पाए। जो सरकार जनता का काम नहीं करती, वो हारती है। हम लोग भी हारे, क्योंकि हम मांग पूरी नहीं कर पाए।” यह बयान NHM कर्मचारियों के बीच जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंजा, जो अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से हड़ताल पर हैं।
NHM हड़ताल का पृष्ठभूमि: स्वास्थ्य व्यवस्था पर संकट
छत्तीसगढ़ में NHM के करीब 16,000 से अधिक संविदा कर्मचारी 18 अगस्त 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। उनकी प्रमुख मांगें नियमितीकरण, 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि, ग्रेड पे निर्धारण, कैशलेस चिकित्सा बीमा, स्थानांतरण नीति और सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसी हैं। हड़ताल के कारण प्रदेशभर के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण, प्रसव सेवाएं, इमरजेंसी सुविधाएं, SNCU (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई), ब्लड बैंक और लैब सेवाएं ठप हो चुकी हैं। मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी हो रही है।
NHM कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने बताया कि सरकार ने 15 अगस्त तक मांगें पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हड़ताल के 13वें दिन कर्मचारियों ने “पथरा के देवता बोलत नई हे ओ, सुनत नई हे ओ” जैसे लोकगीतों के माध्यम से सरकार के वादों पर तंज कसा। इसके अलावा, कर्मचारियों ने खून से पत्र लिखकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को अपनी पीड़ा बताई। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हाल ही में हड़ताल पर पलटवार करते हुए कहा कि 10 मांगों में से 5 पर राज्य सरकार ने सहमति जता दी है, बाकी केंद्र सरकार के अधीन हैं। उन्होंने कर्मचारियों से त्योहारों और बारिश के मौसम को देखते हुए काम पर लौटने की अपील की और नो-वर्क नो-पेमेंट का नोटिस जारी किया।
सिंहदेव का बयान: कांग्रेस की हार का ‘कबूलनामा’
टीएस सिंहदेव का यह बयान राजनीतिक हलचल मचा रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कांग्रेस की घोषणा पत्र में NHM कर्मियों के नियमितीकरण का वादा था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसे पूरा न कर पाने के कारण कर्मचारियों का वोट बैंक खिसक गया। “यह हार हमारी कमजोरी का परिणाम है। जनता वादाखिलाफी बर्दाश्त नहीं करती,” उन्होंने जोर देकर कहा। NHM कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमित मिरी ने सिंहदेव के बयान का स्वागत करते हुए कहा, “यह बयान भाजपा सरकार के लिए चेतावनी है। यदि घोषणा पत्र के वादे पूरे नहीं किए गए, तो सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।”
कांग्रेस के इस बयान पर भाजपा ने तीखा प्रहार किया है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के बयान को “वोट बैंक की राजनीति” बताते हुए भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए NHM कर्मियों को ठगा, अब विपक्ष में आकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रही है। एक भाजपा सांसद ने समर्थन जताते हुए कहा कि कर्मचारियों की मांगें जायज हैं, लेकिन हड़ताल से जनता प्रभावित हो रही है।
राजनीतिक निहितार्थ: क्या बदलेगी हड़ताल की दिशा..?
टीएस सिंहदेव का बयान NHM हड़ताल को नई राजनीतिक धार दे सकता है। कांग्रेस पार्टी ने इसे अपनी हार का विश्लेषण बताते हुए कहा है कि भविष्य में वादों को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, NHM संघ ने सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होकर मांगें पूरी करने की अपील की है। हड़ताल का असर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा पड़ रहा है, और सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। यदि जल्द समाधान न निकला, तो आंदोलन और उग्र हो सकता है।





