सरगुजा. छत्तीसगढ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने ‘मोदी की गारंटी’ के नाम पर जो घोषणापत्र जारी किया था, उसमें प्रदेश की जनता, विशेष तौर पर बेरोजगारों से यह वादा था कि प्रदेश में शिक्षकों के 57000 पद भरे जायेंगे. यह भी वादा था कि, शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने के लिये बंद पडे स्कूलों को खोला जायेगा. अपने इन वादों पर प्रदेश की भाजपा सरकार ने आज तक कोई कदम नहीं उठाया है. इसके विपरीत सरकार शिक्षा विभाग में नये सेटअप के नाम पर युक्तियुक्तकरण की नयी नीति लेकर आ गई है, जिससे प्रदेश में 10463 स्कूल सीधे तौर पर बंद हो जायेंगे. करीब 45000 से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त हो जायेंगे. स्कूलों के बंद होने से न केवल शिक्षकों के पद समाप्त हो रहे हैं, साथ ही साथ स्कूलों में कार्यरत रसोईया, भृत्य, स्वीपर, महिला समूहों के रोजगार पर भी ग्रहण लगेगा. सरकार ने प्राथमिक स्कूलों के कक्षा 1 से 5 तक के लिये मात्र 2 शिक्षकों के सेटअप को मंजूरी दी है. सरकार के इस अदूरदर्शितापूर्ण निर्णय से पूरे प्रदेश में शासकीय स्कूलों में अध्ययन की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी. छत्तीसगढ एक गरीब राज्य है. यहां की अधिकांश आबादी शिक्षा के लिये शासकीय स्कूलों पर आश्रित है. शासकीय स्कूलों की खराब गुणवत्ता की वजह से छत्तीसगढ के गरीब निवासी अपने बच्चों की शिक्षा के लिये मजबूरन निजि शिक्षा संस्थानों की ओर अग्रसर होंगे, जिससे उनपर बेवजह का आर्थिक भार पडेगा.
प्रदेश सरकार की इस जनविरोधी निति के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने ‘शिक्षा-न्याय’ के नाम से चरणबद्ध आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया है. इसके तहत दिनांक 5 से 7 जून तक पूरे प्रदेश में जिलास्तरीय प्रेसवार्ता होगी. 9 से 11 जून तक विकासखंड स्तर पर ब्लॉक शिक्षा कार्यालय का घेराव एवं 16 से 25 जून तक जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का घेराव कार्यक्रम रखा गया है. एक से 10 जुलाई तक बंद होने वाले स्कूलों के सामने कांग्रेसजन प्रदर्शन करेंगे.





